वैसे हूँ तो आप जैसा ही पर साधारण दुनिया से अलग हूं क्योंकि ! उसके बाद अपनी जिंदगी में किसी को आने नही दिया । आज छः साल के करीब हो गए उसके जाए । पर उसके जख्म हमेशा रहेंगे दिल पर ।
दोस्तो मैं बचपन से अपने माँ बाप के अलग होने के कारण दोनों का प्यार नही पा सका । कोर्ट कचहरी लड़ जब पापा के पास पहुचा तो दूसरी सौतेली माँ ने अपनाने से मना किया । पापा उसे छोड़ तीसरी मा किये । जिन्होंने मुझे कभी सौतेला नही माना ।
पढ़ाई में अच्छा कर रहा था । 10वी में बेहतर किया और पॉलीटेक्नीक में एडमिशन हुआ । पर वहां कदम नही टिका पाया । 11वी कॉमर्स किया । 12वी में क्लास के चुनाव जीता । राजनीति में घुस गया । गलत शौक लग गए । लड़की बाजी भी करने लगा । पिताजी के नाम की बहुत बदनामी हुई पर पिताजी ने कभी मुझपर हाथ नही उठाया । सारी बदनामी का जहर पीते रहे । लोग कहते थे तेरा लड़का गुंडा बनेगा मवाली बनेगा ।
तभी जीवन मे एक लड़की आई । पहले तो बस दोस्ती हुई । बात चीत होती । उसने मेरी बुरी आदत धीरे धीरे हक जता कर छुड़वा दी । उसने एक दिन मेरी कहानी सुनी और उसकी भी सुनाई । उसे भी उसकी सग्गी मा का प्यार कभी नही मिला था । उसकी सौतेली माँ उसे कई बार घर से निकाल देती तो वो अपने माँ के कब्र पर जाकर रोती । मैं कई बार उसे कब्रिस्तान से अपने घर रात के 1 1 बजे ले आया था । एक दिन मैंने उसे प्रोपस किया । वो मान गईं । मेरा परिवार भी राजी था और उसे अपने बेटी जैसा ही मानता था । उसके खाने पीने पढ़ाई लिखाई में बहुत मदद भी की थी । उसे हमारे घर के त्योहारों में शामिल करते । उसके पिताजी को मिलने बुलाया गया । उन्होंने मुझे नकार दिया । मैंने सोचा चलो ग्रेजुएट होने में तीन साल बाकी है सब मान जायेगे । सब ठीक चल रहा था । उस लड़की ने मेरे साथ जीने मरने के सपने देखे थे ।
केके दिन मैंने उसे फोन किया तो फोन बंद आया । उसकी दोस्त से जाना कि उसने सिम बदल दिया । उसके नए सिम पर फोन किया तो उसने कहा
“तुम्हे ये नंबर किसने दिया । तुम मर जाओ, तुम्हारे मा बाप नद तुम्हे पैदा कर ही गलती की, मुझे तुम्हारी कोई जरूरत नही । आइंदा फोन न करना । तुम्हारे मा बाप भी बुरे है । भूल जाओ मुझे ।”
फोन कट…
मैं बहुत रोया । उसके पिताजी से बात किया फोन पर ! उन्होंने कहा
“सुन रे ! तू मेरे जात का नही । तू जात का ब्राम्हण हुआ तब भी कोई मतलब नही क्योंकि मुझे मेरी लड़की मेरी ही जात में देनी है । आइंदा दिखा तो तुझे और तेरे पूरे परिवार को खत्म कर दूँगा ।”
तीन महीने तक मैं घर से बाहर नही निकला । एक अंधेरे कमरे में बंद रहता । आधी रोटी भी मुश्किल से खाता । मेरे मा बाप मुझे देख रोते । और मैं सुनसान पड़ा रहता बिना भाव के । मेरे पिताजी ने रिटायरमेंट ले ली माता जी ने बदली करवा नया शहर नया घर करवा लिया । फिर भी मैं वैसा ही था । एक दिन मैं 7 दिन के एक धार्मिक संघटन के शिविर में चला गया । वहां से लौटा तो शरीर पर भगवा वस्त्र लपेटे था । नही ! मैं सन्यासी नही । पर अब ईश्वर ही मेरे लिए सब कुछ है । वेद, उपनिषद का अध्ययन करने में व्यस्त रहता हूँ । आज MBA finance के अंतिम महीने में हूँ । पर आज तक किसी को न कभी प्रेम के लिए बोला न किसने मुझे !
भगवान ने मुझे अकेले को ही ऐसा बनाया ! ईमानदार धार्मिक निष्ठावान पक्षपात रहित साधारण जीवन ऐसी जिंदगी बन गई ।
इतना पढ़े लिखे बाद भी modernisation के आगे घुटने नही टेका, भगवा आज भी साथ है, आज की लड़कियां अधिकतर धन देखती है दिल नही, कोई ईमानदार नही, डरता हूँ कि किसी को जिंदगी में लाकर अगर वो मेरी नही हो सकी तो मेरा फिर अलगाव होगा और इससे मेरे परिवार को कितना दुख होगा । इसीलिए अब न दोस्त बनाता हूँ न किसी को प्यार करता हूँ । बस जी रहा हूँ । मा बाप के प्रति हर बेटे की आखरी जिम्मेदारी होती है उसके लिए जी रहा हूँ । उसके बाद सारी प्रॉपर्टी बेच कर किसी अनाथालय को देकर उसपर अपने माँ बाप का नाम चढा कर किसी जंगल ने निकल लूंगा ।
जंगल मे एक ही कमरा बनाऊंगा । उसमे एक बिस्तर खिड़की के पास और दो अलमारी भर किताबे रखूंगा । एक आराम कुर्सी जिस पसद बैठ किताब पढ़ते पढ़ते ईश्वर मुझे आखरी आदेश देंगे । और जल्द से जल्द जिंदगी खत्म हो यही इच्छा है ।
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